'क्या यें मानसिक अपराधी भी गुड़ टच और बेड टच के मायने समझते हैं ?..'
सरकार ने बच्चो की सुरक्षा लिए यह नियम लागू किया है कि अब से कॉन्डम के विज्ञापन रात को 10 बजे के बाद दिखाए जायेंगे तथा स्कूलों के पाठ्य क्रम में गुड टच और बेड टच का एक सबक भी पढ़ाया जायेगा। तो ये बात उन मानसिक रूप से बीमार तथाकथित पढ़े -लिखे टीचरों के कैसे बताई जायेगीं ?.. ? आखिर उन्हें भी तो कोई ऐसा सबक या नियम सिखाया या पढ़ाया जाये कि भई अबोध और नन्ही -मासूम बच्चियों को तो बक्श दें !ऐसे मानसिक विकृतियों वाले पिशाचों से हम कैसे इन्हे बचाएंगे ?ये दरिंदे तो इंसानी खाल में हर जगह मौजूद रहेंगे। इनके डर से हम अपने बच्चियों की कहां- कहां तक कैसे और कब तक रखवाली कर सकेंगे ?-.. स्कूल बस या ,वैन, स्कूल ,पार्क और यत्र-तत्र सर्वत्र कही भी तो सुरक्षित नहीं हैं। आये दिन स्कूलों में इसके ऐसी घटनाओ के अलावा बुलिंग और हत्याएं जैसी अप्रत्याशित वारदातें भी होती रहती हैं जिससे अभिभावक और छात्र बहुत डरे हुए रहते हैं। कितने बच्चे तो डरके मारे स्कूल ही नहीं जाना चाहते हैं तथा अभिभावक भी उनकी सुरक्षा के लिए चिंत...